I saw this poem on one of my blogger friend who has written it for his wife. I liked the poem and thought of making melody out of it.
Lyrics
तुम हो एक हवा का झोंका
आओ के ना आओ तुम
कब से आंखें तरस रही हैं
अब तो दरस दिखाओ तुम
बाग़ बगीचे खिल उठते हैं
आहट तेरी पाते ही
फ़िर खामोशी छा जाती है
बस तुम्हारे जाते ही
बहुत हो गयी अब जुदाई
काटा बहुत अकेलापन
अब तो तुम ऐसे आ जाओ
फिर ना वापस जाओ तुम
तुम हो एक हवा का झोंका
आओ के ना आओ तुम